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आज हम जानते है बाराबंकी जिले के कुछ प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में जिनका
पौराणिक महत्त्व है तो सबसे पहले थोड़ी सी जानकारी कर ली जाय बाराबंकी जिले के बारे
में ,
बाराबंकी उत्तर प्रदेश राज्य का एक जनपद है जो की भारत के सभी सड़क एवं
रेलमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है अतः यहाँ बड़ी ही आसानी से पहुचा जा सकता है
| बाराबंकी का सम्बन्ध रामायण कालीन इतिहास में भी पाया जाता है पौराणिक मान्यतानुसार बाराबंकी में स्थित सतरिख स्थान वही स्थान है जहां पर आचार्य वशिष्ठ ने भगवान राम और उनके भाइयो को शिक्षा - दीक्षा दी थी सतरिख को पहले लोग सप्त ऋषि नाम से भी जानते थे | बाराबंकी जिले का वर्णन महाभारत कालीन इतिहास में भी पाया गया है जब पाण्डवो को राज्य निष्काषन हुआ था तब पाण्डव अपनी माता कुंती के साथ यहाँ कुछ समय रुके थे , कुन्तेश्वर महादेव मंदिर इसका साक्ष्य है |
चलिए अब जान लेते बाराबंकी जिले के कुछ प्रसिद्ध
धार्मिक स्थानों के बारे में यदि आप को कभी मौका मिले तो समय निकालकर यहाँ अवश्य
जाये क्यूंकि इन सभी धार्मिक स्थलों का एक विशेष इतिहास है -
देवा शरीफ
यह पवित्र स्थान बाराबंकी से महज 13 किलोमीटर को दूरी पर स्थित है यह एक दरगाह है जहां दूर दूर
से भक्त अपनी मन्नतो को लेकर आते है , देवा शरीफ हाजी वारिश अली शाह की जन्मस्थली
है जो की एक प्रख्यात सूफ़ी संत थे हाज़ी वारिश अली शाह जी महान व्यक्तित्व के धनी
थे जिनके समस्त जीवन का मुख्यता एक ही सन्देश था की समस्त लोग प्रेम पूर्वक रहे |
इस सुप्रसिद्ध दरगाह की नीव एक हिन्दू ने रखी थी यहाँ सभी धर्मो का सम्मान होता है
सारे धर्मो के लोग यहाँ मत्था टेकने आते है लोगो का मानना है की यहाँ हाज़ी वारिश
अली शाह की कृपा से सभी की मुरादें पूरी होती है |
देवा शरीफ आप जैसे ही पहुचोगे रस्ते में आपको
तमाम प्रसाद की दुकाने , बच्चो के खिलोनो की दुकाने और भी तमाम तरह की सुसज्जित
दुकाने दिखाई पड़ती है आप अपने अनुसार मिठाई , फूल , चादर जो भी बाबा की माजर पर चढ़ाना
चाहे ले सकते है अब आप जैसे ही प्रवेश द्वार से अन्दर जायेंगे एक बहुत बड़ा सा
प्रांगण दिखाई देगा और सामने ही है देवा शरीक की दरगाह जो की काफी भव्य बनी हुई है
आप आगे बढ़कर अपने जूते चप्पल उतारकर जब दरगाह के अन्दर पहुचते है आपको चारो तरफ
बड़े बड़े आकर्षक शीशे दिखाई देते है , दीवारे इतनी सुन्दर की मन करता है देखते ही
रहे गज़ब की नक्खाशी दिखाई पड़ती है , ऊपर
बड़े बड़े झूमर वहां की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते है और अंत में शांति और
सहिष्णुता के प्रतीक हाज़ी वारिश अली शाह की दरगाह पर मत्था टेकिये और अपने जीवन को
धन्य बनाइये फिर बाहर निकलकर अपने साथ लाई हुई गई अगरबत्ती भी आप जला सकते है और
वहा की भभूत भी प्रसाद स्वरूप ले सकते है |
Dewa Shareef Dargah Barabanki |
कैसे पहुचे
देवा शरीफ बाराबंकी जिले से महज 13 किलोमीटर
लगभग की दूरी पर है और लखनऊ से लगभग 40 किलोमीटर की
दूरी पर है |
यदि आप वायुमार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का निकटतम
हवाई अड्डा लखनऊ है और लखनऊ से आपको तमाम साधन मिल जायेंगे |
यदि आप रेलवे मार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का
निकटतम रेलवे स्टेशन बाराबंकी है और बाराबंकी से आपको देवा शरीफ के लिए बहुत से
साधन मिल जायेंगे |
यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते है तो उत्तर
प्रदेश परिवहन की बसे आपको बाराबंकी और लखनऊ दोनों जिलो से बड़ी आसानी से मिल
जाएँगी |
कहा रुके
यदि आपको यहाँ रुकना है तो देवा या बाराबंकी या
लखनऊ तीनो जगह रुक सकते है तीनो जगह आपको होटल , गेस्ट हाउस , लॉज मिल जायेंगे |
देवा मेला
देवा शरीफ में एक प्रसिद्ध मेले का हर वर्ष अक्टूबर
नवम्बर महीने में हाज़ी वारिश अली शाह के पिता जी दादा मियां की याद में आयोजन होता
है | देवा मेले में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र मवेशी बाजार है , 10 दिनों तक चलने
वाले देवा मेले में मुशायरा , कवी सम्मेलन , मानस सम्मेलन इत्यादि सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित किये जाते है , कई प्रकार के खेलो की स्पर्धाये भी लोगो को
आकर्षित करती है |
नोट – देवा शरीफ मजार के खुलने एवं बंद होने का
समय गर्मियों में प्रातः 04 बजे से अपराह्न 12 बजे तक और अपराह्न 02 बजे से रात्रि
10 बजे तक है यही समय सर्दियों में बदलकर प्रातः 05 बजे से अपराह्न 12 बजे तक और
अपराह्न 02 बजे से रात्रि 09 बजे तक है |
पारिजात वृक्ष
यह वृक्ष उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जनपद
में रामनगर तहसील के किन्तूर गाँव में स्थित है पौराणिक मान्यताओनुसार पारिजात
वृक्ष को स्वर्ग से उतरा एक वृक्ष माना गया है इसको कल्पतरु , कल्पदानया कल्पवृक्ष
भी कहा जाता है | पारिजात वृक्ष के बारे में पौराणिक धारणा यह है की यह वृक्ष
समुद्र मंथन में प्राप्त 14 रत्नों में से एक है देवता इसे स्वर्ग लिए गए थे , महाभारत
काल में जब पाण्डवो को अज्ञातवास मिला था तब वो अपने तप से पारिजात वृक्ष को धरती
पर लाये थे , कुछ लोगो का मानना है की भगवान कृष्ण इस वृक्ष को अपनी रानी सत्यभामा
के लिए लाये थे इसी कारणवश यह पूज्यनीय है माना जाता है इसके जैसा इस दुनिया में
कोई भी दूसरा वृक्ष नहीं है यह एक अद्भुत वृक्ष है वनस्पति विज्ञान के जानकार
बताते है की यह एक पुरुष वृक्ष है और इस जैसा दूसरा वृक्ष इस संसार में अभी तक
नहीं मिला है न ही इसकी शाखा की कलम से दूसरा वृक्ष उत्पन्न किया जा सकता है और ना
ही इसके फलो या बीजो से दूसरा वृक्ष उत्पन्न किया जा सकता है | इस वृक्ष में अगस्त
के महीने में सफ़ेद रंग के फूल आते है जो सूखने के बाद सुनहरे हो जाते है इसका फूल
देखना अत्यंत शुभ माना गया है |
आप जब पारिजात वृक्ष के दर्शन करने जाते हो तब
आपको रास्ते में कई प्रसाद की दुकाने दिखाई देंगी आप वहा से प्रसाद लेकर अन्दर
प्रवेश करे अब कुछ ही दूरी पर चलकर अद्वितीय पारिजात दिखाई देता है इतना विशाल
वृक्ष शायद ही अपने पहले देखा हो आप अपने जुते चप्पल उतारकर प्रसाद को मंदिर में
चढ़ा दीजिये और पारिजात वृक्ष की परिक्रमा करके अपने जीवन को धन्य बनाइये | यदि
आपके पास समय है तो इस स्थान पर आप कुछ देर रुक सकते है यहाँ का प्राकृतिक नजारा
भी काफी मनोहर है जहां आपको एक अजीब से सुकून का एहसास होगा |
Parijat Tree Barabanki |
कैसे पहुचे
यदि आप वायुमार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का
निकटतम हवाई अड्डा चौधरी चरण सिंह अमौसी लखनऊ है और लखनऊ से आपको तमाम साधन मिल जायेंगे |
यदि आप रेलवे मार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का
निकटतम रेलवे स्टेशन बुढवाल जंक्शन है जो की रामनगर तहसील के समीप ही है फिर
रामनगर से आपको पारिजात के लिए बस , ई
रिक्शा , टेम्पो आदि साधन मिल जायेंगे |
यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते है तो उत्तर
प्रदेश परिवहन की बसे पारिजात वृक्ष तक आपको पहुंचा देंगी |
कहा रुके
यह एक गाँव में स्थित है तो यहाँ पर तो ठहरने का
कोई प्रबंध नहीं है परन्तु आप बाराबंकी जिले में रुक सकते है वहां आपको धर्मशाला ,
होटल आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे |
महादेवा
आपका स्वागत है भगवान शिव के पावन लोधेश्वर धाम
महादेवा में यह मंदिर बाराबंकी जिले में रामनगर तहसील से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी
पर बाराबंकी से गोंडा - बहराइच जाने वाले रास्ते में महादेवा गाँव में पड़ता है यह
अति प्राचीन मंदिर है यहाँ पर श्रद्धालु आते रहते है और शिवलिंग के दर्शन कर अपने
जीवन को सफल बनाते है | इस मंदिर का महाभारत काल में भी जिक्र है जब पांडवो को अज्ञातवास
दिया गया था तब इसी स्थान पर महायज्ञ का आयोजन किया गया था यही समीप में एक कुवां
है जो पाण्डव कूप नाम से जाना जाता है मान्यता है कि इस कूप के पानी को पीने से कई
बीमारियां ठीक हो जाती है | यह पावन धाम कांवरियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है हर
साल महाशिवरात्रि में देश भर से लाखो भक्त महादेवा शिवलिंग में गंगाजल चढ़ाने बहुत
दूर दूर से आते है कुछ भक्त तो पैदल ही यह यात्रा तय करते है | हर वर्ष महाशिवरात्रि में यहाँ पर महादेवा
मेले का आयोजन होता है और यह मेला अत्यंत विशाल होता है जो की आसपास के क्षेत्र और
बाराबंकी जनपद में काफी प्रसिद्ध है | अन्य मंदिरों की तरह यहाँ भी आपके कई प्रसाद
की दुकाने रास्ते में दिखेंगी वहां से आप अपनी इच्छानुसार प्रसाद ले सकते है |
Mahadeva Temple Barabanki |
कैसे पहुचे
यदि आप वायुमार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का
निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ है और लखनऊ से आपको आगे के लिए बहुत से साधन मिल जायेंगे |
यदि आप रेलवे मार्ग से जाना चाहते है तो यहाँ का
निकटतम रेलवे स्टेशन बुढवाल जंक्शन है जो की रामनगर तहसील के समीप ही है फिर
रामनगर से आपको महादेवा के लिए ई रिक्शा ,
टेम्पो आदि साधन मिल जायेंगे |
यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते है तो उत्तर
प्रदेश परिवहन की बसे आपको रामनगर तहसील तह पहुंचा देंगी फिर रामनगर से आपको महादेवा के लिए ई रिक्शा , टेम्पो आदि साधन मिल जायेंगे |
कहा रुके
यह स्थान भी एक गाँव में स्थित है तो यहाँ पर भी
रुकने का कोई प्रबंध नहीं है परन्तु आप बाराबंकी जिले में रुक सकते है वहां आपको
धर्मशाला , होटल आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे |
कोटवा धाम
यह पावन धाम उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी
जिले में रामनगर तहसील में बदोसरय रोड पर स्थित है यहाँ पर श्री सत्य समर्थ बाबा
जगजीवन दास जी का मंदिर है जो की सतनामी साम्प्रदाय के एक महान संत थे यहाँ पर भक्त बाबा के दर्शन हेतु आते रहते है और
बाबा से अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए प्रार्थना करते है |
Kotva Dham Barabanki |
कैसे पहुंचे
कोटवा धाम , पारिजात वृक्ष से आगे लगभग 5
किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बाराबंकी जनपद से कोटवा धाम के लिए उत्तर प्रदेश
परिवहन की बसे मिल जाती है |
सुझाव – यदि आप बाराबंकी के इन सभी धार्मिक
स्थलों के दर्शन करने आते है तो उचित ये रहेगा की आप कोई टैक्सी बुक कर ले जिससे
आप बड़ी आसानी से एक ही दिन में सभी स्थलों के दर्शन कर पाएंगे और ज्यादा थकान भी
नहीं होगी |
Wonderful Blog! In Lucknow there are many beautiful places to visit, Also it’s different cultures and traditions are very interesting. You have covered everything which are necessary for the travelers.Thanks for sharing nice information.
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