51 शक्तिपीठ
हिन्दू धर्म में इन 51 शक्तिपीठ का अत्यंत महत्त्व है लोगो की आस्था इन शक्तिपीठो के साथ जुडी हुई है
पौराणिक कथाओ अनुसार जब राजा दक्ष का सर काटकर भगवान शिव मृत देवी सती के शारीर को
लेकर तांडव कर रहे थे जिसके फलस्वरूप संसार में प्रलय की उपस्थित उत्पन्न हो गई थी तब भगवान विष्णु ने स्रष्टि को बचाने
हेतु सुदर्शन चक्र को भेजा इस सुदर्शन चक्र ने देवी सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े और माता के आभूषण जहाँ
जहाँ गिरे उन सभी स्थानों को शक्तिपीठ का दर्जा दिया गया |
देवी माँ के ये शक्तिपीठ ईश्वर के प्रति अटूट आस्था का जीता जागता उदहारण है क्यूंकि हजारो लाखो की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन कर लाभान्वित होते है हम आपको इस पोस्ट में इन सभी 51 शक्तिपीठो के बारे में संक्षेप में जानकारी देने का प्रयास कर रहे है -
देवी माँ के ये शक्तिपीठ ईश्वर के प्रति अटूट आस्था का जीता जागता उदहारण है क्यूंकि हजारो लाखो की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन कर लाभान्वित होते है हम आपको इस पोस्ट में इन सभी 51 शक्तिपीठो के बारे में संक्षेप में जानकारी देने का प्रयास कर रहे है -
हिंगलाज या हिंगुल शक्तिपीठ
यह स्थान पाकिस्तान के कराची में स्थित है यहाँ पर माता का ब्रम्ह्ररंध्र मतलब
सर का उपरी भाग गिरा था यहाँ पर माता शक्ति कोत्तरी देवी के नाम से विराजमान है |
शर्करारे शक्तिपीठ
यह
स्थान भी पाकिस्तान के कराची में स्थित है यहाँ पर माता की आँख गिरी थी यहाँ माता
सती महिषमर्दनी नाम से शुशोभित है परन्तु कुछ लोगो के अनुसार इस शक्तिपीठ अस्तित्व
विलासपुर हिमांचल प्रदेश में नैना देवी नाम से है |
सुगंधा सुनंदा शक्तिपीठ
यह स्थान बंगलादेश में शिकारपुर बरिसर के पास स्थित है यहाँ माता की नासिका गिरी
थी यहाँ एक नदी पाई जाती जो सोंध नदी नाम से प्रसिद्ध है |
महामाया शक्तिपीठ
यह
स्थान पहलगाम कश्मीर में स्थित है यहाँ माता का कंठ गिरा था यहाँ देवी महामाया
देवी नाम से जनी जाती है |
ज्वालाजी शक्तिपीठ
यह
स्थान हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में स्थित है यहाँ पर माता सती की जीभ
गिरी थी यहाँ पर माता ज्वालामुखी सिद्धिदा देवी नाम से जानी जाती है |
त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ
यह स्थान पंजाब प्रान्त के जालंधर में स्थित है यहाँ पर एक देवी तालाब भी है जिसमे स्नान करना अति शुभ जाता जाता है यहाँ पर माता सती का बांया वक्ष गिरा था |
अम्बाजी शक्तिपीठ
यह
स्थान गुजरात राज्य में आबू रोड के समीप अरासुर पर्वत पर है यहाँ माता का ह्रदय
गिरा था |
महामाया शक्तिपीठ
यह
पवित्र स्थान नेपाल देश में है और विश्वविख्यात पशुपतिनाथ मंदिर भी इस शक्तिपीठ के
समीप है यहाँ पर देवी सती के दोनों घुटने गिरे थे | यह शक्तिपीठ गुजरेश्वरी मंदिर नाम से भी जाना जाता है |
दाक्षायनी शक्तिपीठ
यह
स्थान तिब्बत में स्थित है जो की कैलाश मानसरोवर के पास है यहाँ पर माता का दाया
हाथ गिरा था |
विमला शक्तिपीठ
यह स्थान
उड़ीसा राज्य में विराज क्षेत्र के उत्कल जगह पर है यहाँ माता की नाभि गिरी थी |
गंडकी शक्तिपीठ
यह स्थान
नेपाल देश में पोखरा नमक जगह पर है यहाँ गण्डकी नदी बहती है और यह शक्तिपीठ
मुक्तिनाथ मंदिर नाम से जाना जाता है यहाँ पर माता का मस्तक गिरा था |
देवी बहुला शक्तिपीठ
यह स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के वर्धमान जिले
में अजेय नदी के किनारे शुशोभित है यहाँ पर माता का बांया हाथ गिरा था |
मंगल चंडिका या उज्जयिनी शक्तिपीठ
यह स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के वर्धमान जिले में स्थित है इस स्थान पर
माता सती की दाई कलाई गिरी थी |
त्रिपुरसुन्दरी शक्तिपीठ
यह स्थान भारत के त्रिपुरा राज्य में उदारपुर के पास मताबाढ़ी पर्वत पर है यहाँ माता का दांया पैर गिरा था |
भवानी चट्टल शक्तिपीठ
यह
पवित्र माता का स्थान बांग्लादेश में चटगांव जिले के पास स्थित है यह मंदिर
चन्द्रनाथ पर्वत शिखर पर स्थित है यहाँ माता की दांयी भुजा गिरी थी |
भ्रामरी शक्तिपीठ
यह
स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के जलपाईगुडी जिले में त्रिस्त्रोत नमक स्थान पर है यहाँ
माता सती का बांया पैर गिरा था |
कामाख्या शक्तिपीठ
यह
शक्तिपीठ असम राज्य के गुवाहाटी जनपद में कामगिरी नमक स्थान पर नीलांचल पर्वत पर
विराजमान है यहाँ माता का योनी भाग गिरा था |
जुगादया या युगाद्या शक्तिपीठ
यह स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के वर्धमान जिले में खीरग्राम में स्थित
है यहाँ पर माता का अंगूठा (दांया पैर का ) गिरा था |
कालिका शक्तिपीठ
यह स्थान
पश्चिम बंगाल राज्यके कोलकात्ता के कालीघाट नमक स्थान पर है यहाँ माता देवी सती का
बांये पैर का अंगूठा गिरा था |
ललिता शक्तिपीठ
यह पवित्र
स्थान उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले में गंगा यमुना सरस्वती के संगम के
किनारे शुशोभित है यहाँ माता की हाथ की ऊँगली गिरी थी |
जयंती शक्तिपीठ
यह
शक्तिपीठ बांग्लादेश में सिल्हैत जिले में कलाजोर भोर्भोग नाम के एक गाँव में खासी
पर्वत नाम के एक स्थान पर है यहाँ माता की जांघ ( बांयी ) गिरी थी |
विमला शक्तिपीठ
यह स्थान
पश्चिम बंगाल राज्य में मुर्शिदाबाद जिले में किरीटकोण नामक गाँव में है यहाँ माता
का मुकुट गिरा था |
मणिकरणी या विशालाक्षी शक्तिपीठ
यह देवी स्थान उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले ( जो की बनारस , काशी
इत्यादि नामो से भी जाना जाता है ) में माता गंगा के एक पावन घाट मणिकर्णिका घाट
पर है यहाँ माता के कान के कुंडल जिनमे मणि जड़ी हुई थी गिरे थे |
श्रावणी शक्तिपीठ
यह
स्थान तमिलनाडु राज्य में स्थित है यहाँ पर माता की पीठ गिरी थी |
सावत्री शक्तिपीठ
यह पवन
स्थान हरियाणा के कुरुक्षेत्र में है यहाँ पर माता की एडी गिरी थी |
गायत्री शक्तिपीठ
पह स्थान
राजस्थान राज्य के अजमेर जिले में पुष्कर नामक स्थान पर गायत्री पर्वत पर है यहाँ
माता के मणिबन्ध गिरे थे |
महालक्ष्मी शक्तिपीठ
यह
स्थान बांग्लादेश में सिल्हैत में जैनपुर नाम के गाँव पर है यहाँ माता का गला गिरा
था |
देवगर्भा शक्तिपीठ
यह पावन
स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम जिले में कांची नमक स्थान पर कोपई नदी के
किनारे पर है यहाँ पर माता की अस्थि गिरी थी |
देवी काली शक्तिपीठ
यह
स्थान मध्य प्रदेश राज्य के अमरकंटक में शॉन नदी के किनारे पर एक गुफा में स्थित
है यहाँ पर देवी सती का बांया नितम्ब गिरा था |
नर्मदा शोणाक्षी शक्तिपीठ
यह स्थान मध्य प्रदेश राज्य के अमरकंटक में नर्मदा नदी के उद्गम स्थान पर है यहाँ
माता का दांया नितम्ब गिरा था |
शिवानी शक्तिपीठ
यह स्थान उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले में
रामगिरी नाम के स्थान पर है जो कि चित्रकूट से भी समीप है यहाँ पर माता का दांया
वक्ष गिरा था |
उमा शक्तिपीठ
यह पावन देवी का स्थान उत्तर प्रदेश राज्य के
मथुरा जिले में वृन्दावन में भूतेश्वर मंदिर नामक स्थान पर है यहाँ पर माता के
चुडामणि गिरे थे |
नारायणी शक्तिपीठ
यह
स्थान तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी तिरुअनंतपुरम मार्ग पर शुची स्थान पर
बिराजमान है यहाँ पर माता का ऊपर के दांत गिरे थे |
वाराही शक्तिपीठ
यह एक
अज्ञात स्थान पर है यहाँ माता के निचले दांत गिरे थे |
अपर्णा शक्तिपीठ
यह अति पावन
देवी का स्थान बांग्लादेश में भवानीपुर गाँव में जो बागुर स्टेशन के पास है पर
स्थित है यहाँ पर माता की बांये पैर की पायल गिरी थी |
श्रीसुन्दरी शक्तिपीठ
यह
स्थान जम्मू कश्मीर राज्य में लद्दाख क्षेत्र में पर्वत पर स्थित है यहाँ पर माता
की दांये पैर की पायल गिरी थी | कुछ अन्य मान्यताअनुसार यह स्थान आंध्र प्रदेश राज्य के कुरनूल जिले
में श्रीशैलम स्थान पर है |
कपालिनी भीमरूप शक्तिपीठ
यह स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के तामलुक जिले में विभास नमक जगह पर है यहाँ पर माता
की बांयी एडी गिरी थी |
चंद्रभागा शक्तिपीठ
यह
गुजरात राज्य के जुनागढ़ जिले में है यह सोमनाथ मंदिर के निकट प्रभाष क्षेत्र में
है यहाँ पर माता का पेट गिरा था |
अवन्ती शक्तिपीठ
यह मध्य
प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के किनारे भैरव नामक पर्वत पर है
यहाँ माता के ऊपर के ओठ गिरे थे |
भ्रामरी शक्तिपीठ
यह
महाराष्ट्र राज्य में नासिक जिले में जनस्थान नामक जगह पर है और गोदावरी नदी के
किनारे है यहाँ माता के ठोड़ी गिरी थी |
राकिनी विश्वेशवरी शक्तिपीठ
यह आंध्र प्रदेश राज्य में गोदावरी नदी के किनारे कोतिलिंगेश्वर मंदिर के पास
श्रीशैलम नमक स्थान पर है यहाँ पर माता के गाल गिरे थे |
अम्बिका शक्तिपीठ
यह राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में बिरात
नमक स्थान पर है यहाँ पर माता की बांये पैर की अंगुली गिरी थी |
कुमारी शक्तिपीठ
यह पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली जिला में
रत्नाकर नदी के किनारे स्थित है यहाँ पर माता का दांया स्कंध गिरा था |
उमा महादेवी शक्तिपीठ
यह
भारत नेपाल की सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास है यहाँ पर माता का बांया स्कंध
गिरा था |
कलिका देवी शक्तिपीठ
यह
पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूमि जिले में नलहाटी के निकट है यहाँ पर माता के पैर की
हड्डी गिरी थी |
जयदुर्गा शक्तिपीठ
यह
शक्तिपीठ एक अज्ञात जगह पर है यहाँ माता सती के दोनों कान गिरे थे |
महिषमर्दनी शक्तिपीठ
यह
स्थान पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम जिले में दुबराजपुर स्टेशन के पास वक्रेश्वर
नमक स्थान पर है यहाँ पापहर नदी भी है यहाँ माता का भ्रूमध्य गिरा था |
यशोरेश्वरी शक्तिपीठ
यह
बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नमक स्थान पर है यहाँ माता के हाथ और पैर गिरे
थे |
फुल्लरा शक्तिपीठ
यह
स्थान पश्च्मि बंगाल प्रदेश के बीरभूम जिले में अट्टहास नमक जगह पर है यहाँ माता
के ओंठ गिरे थे |
नंदिनी शक्तिपीठ
यह स्थान
पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम जिले में नंदिपुर नाम की जगह में चारदीवारी में बरगद
के पेड़ के पास स्थित है यहाँ पर माता के गले का हार गिर पड़ा था |
इन्द्राक्षी शक्तिपीठ
पौराणिक मान्यता अनुसार यह स्थान लंका में ट्रिंकोमाली जगह पर है यहाँ माता सती की
पायल गिरी थी |
तो अपने देखा माता सती के
जो 51 शक्तिपीठ है वो सिर्फ हमारे देश भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश , पकिस्तान
, श्रीलंका , नेपाल में भी स्थित है | आप इन शक्तिपीठो के भी दर्शन कीजिये क्यूंकि
इनमे से अधिकतर किसी मंदिर के समीप है जैसे मान लीजिये आप सोमनाथ मंदिर जाने का plan बना रहे है तो वाही पास में ही आपको चंद्रभागा शक्तिपीठ के दर्शन का लाभ
भी मिल जायेगा बस ये है की आपको जानकारी होनी चाहिए और हम आपको जानकारी देने का
प्रयास करते रहेंगे |
Kamakhya temple black magic
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